आर आइ पी लालाजी - 2


आख़िरकार, साल का वो दिन दोबारा आ ही गया जब Apple नये नवेले iPhone से पूरी दुनिया में खलबली मचा देता है। जहां पिछले कुछ दिन पहले फिर से सीरिया के एक लहूलुहान बच्चे की तस्वीर वायरल हो रही थी, iPhone के नये काले रंग के अागे सब उस मटमैले और लाल रंग में लिपे पुते लड़के को भूल गये।



लड़का अकेला नहीं था, पर लोगों ने केवल उसी की बात की। लड़की फ्रेम से क्रॉप हो गयी।
पर मज़े की बात ये है कि जब भी apple अपना नया फ़ोन लॉंच करती है, उसे अपनाने और गरियाने वाले दोनों ही तरह के लोगों में होड़ लग जाती है कि कौन अपना ज़यादा गला फाड़ सकता है। और चूंकि अधिकतर लोगों की नया iPhone लेने की औकात नहीं होती, वो अपने आप को गरियाने वाली टीम में शुमार कर लेते हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि ये सारी गालियां एकदम नाजायज़ होती हैं; apple अपने आप को टैक की दुनिया में सबसे आगे साबित करने की होड़ में इतना पगला जाता है कि उसके कई नये फ़ीचर एकदम तुगलकी प्रतीत होते हैं, जिसका मतलब है अपने समय से आगे की सोच रखने वाले लेकिन वर्तमान के यथार्थ और धरातल से दूर।


लालाजी का लेटेस्ट ऐड

इस में सबसे ज़्यादा मखौल apple के नये वायरलैस earphones का उड़ाया जा रहा है, 15000 रुपये ($159) तक की कीमत वाले इन earphones की फ़िलहाल कोई ज़रूरत नहीं थी, उसके अलावा apple से पहले ना जाने कितनी ही कंपनियां ये सब बाज़ार में निकाल चुकी हैं। ऊपर से चाईना की किसी भी चीज़ को रातोंरात फ़ोटोकॉपी करके बाज़ार में उड़ेलने की क्षमता ने पहले ही कई सस्ते वायरलैस earphones से मार्केट को भर रखा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि apple अपने earphones की कीमत किस तरह जायज़ साबित कर सकता है?


खो गये तो सीधा 15000 रुपयों का चूना। वैसे रंग भी चूने वाला ही है।
किसी भी apple fan से पूछने पर आपको एक ही जवाब मिलेगा "अरे भैया ये apple का product है।" जिसका सीधा सीधा मतलब है कि सवाल करने वालों के लिये आज के apple में कोई जगह नहीं है। 


हमारे लाला जी की मौत के बाद (भगवान उनकी आत्मा को शांति दे) दूसरे बावर्ची जी आए जिन्होंने apple को नये ज़माने के लोगों के साथ चलाने की भरसक कोशिश की। चाहे वो उनका समलैंगिकता को लेकर खुलापन हो या दुनिया से ये वादा करना कि चीन में कोई बंधुआ मज़दूर उनकी कंपनी के लिये टीन टप्पर निकाल कर अपने हाथ और फेफ़ड़े नहीं गला रहा है। ये तरकीबें काफ़ी हद तक कामयाब भी रहीं परंतु इस चक्कर में बावर्ची जी ये भूल गये कि उनकी कंपनी का असल मकसद क्या है।

लाला जी की मौत के बाद apple ने कोई भाड़ नहीं फोड़ा है, और कई टैक पण्डित ये भी मानते हैं कि अब बावर्ची जी के होते हुए apple पर कुछ फूटने भी नहीं वाला। इस बार भी नया iPhone आया परंतु इसमें ऐसा कुछ भी नहीं निकला जो दुनिया ने पहले ना देखा या इस्तेमाल किया हो। इसकी एक वजह कुकुरमत्तों की तरह उगती अनगिनत टैक कंपनियां भी हैं जो आए दिन नित नयी टैक्नोलॉजी निकालती रहती हैं। 


ऑल इण्डिया बकचोद की लालाजी की कंपनी को श्रद्धांजली

जब 251 रुपये में बिकने वाले स्मार्टफ़ोन बाज़ार में उतर आएँ, ऐसे में एक ही कंपनी की शीर्षस्थ्ता बनाये रखना असंभव हो जाता है। और apple के साथ ठीक यही हो रहा है। कभी टैक्नोलॉजी की दुनिया में कीर्तिमान बनाने वाली एक कंपनी अब बाकी कंपनियों के बराबर आने की कोशिश कर रही है। अब आलम ये ही कि apple अपना माल बाज़ार में बाद में उतारती है, पर उसका मज़ाक पहले बन जाता है।

अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लालाजी की दुकान का वही हाल होगा जो चौधरी साब (Nokia) का हुआ था


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