आख़िरकार, साल का वो दिन दोबारा आ ही गया जब Apple नये नवेले iPhone से पूरी दुनिया में खलबली मचा देता है। जहां पिछले कुछ दिन पहले फिर से सीरिया के एक लहूलुहान बच्चे की तस्वीर वायरल हो रही थी, iPhone के नये काले रंग के अागे सब उस मटमैले और लाल रंग में लिपे पुते लड़के को भूल गये।
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लड़का अकेला नहीं था, पर लोगों ने केवल उसी की बात की। लड़की फ्रेम से क्रॉप हो गयी। |
लालाजी का लेटेस्ट ऐड
इस में सबसे ज़्यादा मखौल apple के नये वायरलैस earphones का उड़ाया जा रहा है, 15000 रुपये ($159) तक की कीमत वाले इन earphones की फ़िलहाल कोई ज़रूरत नहीं थी, उसके अलावा apple से पहले ना जाने कितनी ही कंपनियां ये सब बाज़ार में निकाल चुकी हैं। ऊपर से चाईना की किसी भी चीज़ को रातोंरात फ़ोटोकॉपी करके बाज़ार में उड़ेलने की क्षमता ने पहले ही कई सस्ते वायरलैस earphones से मार्केट को भर रखा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि apple अपने earphones की कीमत किस तरह जायज़ साबित कर सकता है?
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खो गये तो सीधा 15000 रुपयों का चूना। वैसे रंग भी चूने वाला ही है। |
हमारे लाला जी की मौत के बाद (भगवान उनकी आत्मा को शांति दे) दूसरे बावर्ची जी आए जिन्होंने apple को नये ज़माने के लोगों के साथ चलाने की भरसक कोशिश की। चाहे वो उनका समलैंगिकता को लेकर खुलापन हो या दुनिया से ये वादा करना कि चीन में कोई बंधुआ मज़दूर उनकी कंपनी के लिये टीन टप्पर निकाल कर अपने हाथ और फेफ़ड़े नहीं गला रहा है। ये तरकीबें काफ़ी हद तक कामयाब भी रहीं परंतु इस चक्कर में बावर्ची जी ये भूल गये कि उनकी कंपनी का असल मकसद क्या है।
लाला जी की मौत के बाद apple ने कोई भाड़ नहीं फोड़ा है, और कई टैक पण्डित ये भी मानते हैं कि अब बावर्ची जी के होते हुए apple पर कुछ फूटने भी नहीं वाला। इस बार भी नया iPhone आया परंतु इसमें ऐसा कुछ भी नहीं निकला जो दुनिया ने पहले ना देखा या इस्तेमाल किया हो। इसकी एक वजह कुकुरमत्तों की तरह उगती अनगिनत टैक कंपनियां भी हैं जो आए दिन नित नयी टैक्नोलॉजी निकालती रहती हैं।
ऑल इण्डिया बकचोद की लालाजी की कंपनी को श्रद्धांजली
जब 251 रुपये में बिकने वाले स्मार्टफ़ोन बाज़ार में उतर आएँ, ऐसे में एक ही कंपनी की शीर्षस्थ्ता बनाये रखना असंभव हो जाता है। और apple के साथ ठीक यही हो रहा है। कभी टैक्नोलॉजी की दुनिया में कीर्तिमान बनाने वाली एक कंपनी अब बाकी कंपनियों के बराबर आने की कोशिश कर रही है। अब आलम ये ही कि apple अपना माल बाज़ार में बाद में उतारती है, पर उसका मज़ाक पहले बन जाता है।
अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लालाजी की दुकान का वही हाल होगा जो चौधरी साब (Nokia) का हुआ था।
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