लॉण्डे - लपाटे - 04

सुबह के 9:11 बजे

जिमी तेज़ी से खड़ा हुआ और वापस से अपनी छोटी सी गैस पर पहुँच गया, अब वो ऐसे बन रहा था जैसे कि उसने स्वप्निल को अभी अभी देखा हो।



जिमी: "अबे तू कब आया बे? आजा चाय तैयार हो रही है।"
स्वप्निल: "हाँ, कुछ और भी तैयार हो रहा था यहाँ पर.. मैंने देखा अभी।"
जिमी: "अबे यार! कुछ ना हा वो.. वो तो उसकी तबियत खराब ही।"
स्वप्निल: "तू डॉक्टर है साले?"
जिमी: "अबे यार..."
जिमी थोड़ी देर चुप रहा, उसके बाद उसने अपने बालों में जल्दी से हाथ फिराकर एक हल्की सी मुसकुराहट के साथ कहा:  - "अबे यार, खुद ही आयी थी, अजीब अजीब सी बातें कर रही थी। अब तुझसे तो मैं कुछ छुपाता नहीं हूँ.. तू जानता है।"
स्वप्निल: "बड़ी ज़ल्दी याद आया।"
जिमी: "अबे यार कभी कभी तो मुझे डर लगने लगता है कि ये मरवायेगी, अगर कभी किसी ने देख लिया तो... मैं तो गया। ऊपर से पापा भी मेरी ऐसी तैसी कर देंगे।"
स्वप्निल: "इसकी हरकतें कुछ बढ़ती नहीं जा रही हैं?"

ये सुनकर जिमी सोचने लगा:-
**जिमी का फ्लैशबैक** (फ्लैशबैक हमेशा ब्लैक ऐण्ड व्हाइट होता है)

बारिश का मौसम है, बारिश हो रही है और शाम के आठ बजे हैं। हमारा जिमी अपनी उसी छोटी सी गैस के पास बैठा हुआ आटा गूँथ रहा है। इसके सारे दोस्त कहते हैं कि इसकी बीवी इससे काफी खुश रहेगी।
खैर, हमारा जिमी अपने खाने की तैयारी में लगा हुआ है... लाइट आ नहीं रही है पर जिमी ने अपनी लालटेन जला कर अपने पास रख रखी है। इस लालटेन की रोशनी में जिमी कभी अपनी गैस पर बन रही सब्जी और कभी पास रखे 'अमर उजाला रँगायन' (अखबार) को देख रहा है। रँगायन में काजोल की फना फिल्म की एक फोटो छपी हुई है... काजोल जा फना फिल्म का वही फेमस पोज़ जिसमें वो वारिश में भीगी हुई आमिर खान की बाहों में है। हाँ तो जिमी उस फोटो को देख रहा है और साथ ही अपनी सब्जी पर भी नज़र रखे हुए है पर उसके हाथ आटा गूँथ रहे हैं।
काजोल को देखते देखते जिमी सोचता है, "यार! हमारे सामने तो कभी कोई भीगी हुई लड़की ना आती है।"

-- "अरे मैं तो पूरी की पूरी भीग गयी।", अचानक पीछे से किसी लड़की की आवाज आती है (अब तक तो आप सब समझ ही गये होंगे कि किस लड़की आवाज है)।

जिमी ने तुरँत पीछे मुड़कर देखा तो अपनी पड़ोसन को बारिश से भिगा हुआ अपने कमरे के दरवाजे पर खड़ा पाया। उसकी पड़ोसन भीगी हुई अँदर आयी और उसके फोल्डिंग पर बैठ गयी।

-- "इस बारिश ने तो मुझे पूरा ही भिगो दिया... देखो तो जिमी।" जिमी की पड़ोसन को चुप कराना एक मुश्किल काम है।

जिमी मुँह फाड़े कभी अपनी पड़ोसन को तो कभी अखबार में काजोल की फोटो को देखता रहा। और थोड़ी देर बाद उसने अपने आप से कहा, "साला कुछ और ही माँग लिया होता।"

जिमी अपनी सोच मे ही डूबा हुआ था कि पड़ोसन अचानक फिर से बोली, "मैं यहाँ भीगी हुई हूँ और तुम सही से देख भी नहीं रहे हो।"

-- "उस बारिश वाली रात के बारे में सोच रहा है ना? ", स्वप्निल ने बीच में बोलकर जिमी का फ्लैशबैक खत्म किया।

जिमी: [हल्के से हँसते हुए] "हाँ यार।"
स्वप्निल: "साला हमारे साथ ऐसा कभी नहीं होता... ना तो कोई भीगी हुई लड़की हमारे पास आती है... और ना ही कोई साली हमारे कमरे में आकर हमारे बिस्तर पर आकर अपनी तबियत खराब करती है। अपना तो साला नसीब ही खराब है।" ये साला स्वप्निल हमेशा रोता ही रहता है।
जिमी: "अबे यार अब तो मुझे बोहोत डर लगने लगा है, पहले तो ये पड़ोसन ही थी, पर अब ये भाभी भी आ गयी है। पापा अब मुझ पर शक करने लगे हैं।"
स्वप्निल: "क्यों? भाभी की वजह से?"
जिमी: "हाँ यार, मैं तो परेशान हो गया हूँ। साला रोज़ रात को उल्टी सीधी आवाजें आती हैं कमरे से और कल तो हद ही हो गयी।"

अब स्वप्निल बाकी बातें भूल चुका था।
स्वप्निल: [बिस्तर पर तेजी से आगे की तरफ आते हुए] "ओये तेरे की! क्या हुआ कल?"
जिमी: "अबे कल मुझे नींद ना आ रही थी, तो मैं रात को उठ कर छत पर घूमने चला गया था। मैं ऊपर पहुँचा तो साला भाभी पहले से ही वहाँ लेटी हुयी थी।"
स्वप्निल: "फिर???"
जिमी: "पहले तो मुझे अँधेरे में वो दिखी ही नहीं, दिखी तब जब मैं उसके पास पहुँच गया। पास पहुँचा ही था कि उसने देख लिया। मुझे बुला कर बात करने लगी।"
स्वप्निल: "ओ हो... आगे?"
जिमी: "अबे यार मैं थोड़ा नींद में था तो मैं बैठ गया, बैठा ही था कि तभी नीचे से पापा की आवाज आयी। मैं तुरँत नीचे पहुँचा तो मुझसे बोले... अब तू छुप छुप कर रात को छत पर जाता है, सब समझता हूँ मैं, किसके लिये जाता है।"
स्वप्निल: "ओ हो... मतलब ये तो गड़बड़ है बेटा।"

-- "क्या गड़बड़ है?", अचानक से जिमी के पापा जी अँदर आ जाते हैं।

[सुबह 9:43 बजे]

टिप्पणियाँ