लॉण्डे - लपाटे - 02

03(2) -- सुबह के 08:33 बजे!

जिमी ने एक हाथ हैण्डपम्प की नली के मुँह पर रखा है और दूसरे से वो हैण्डपम्प का हत्था खींच रहा है। वो अभी अपने बाल ही भिगो पाया है कि अचानक गाना बजता है-।

-"तू मेरे सामने, मैं तेरे सामने.... तुझे देखूं के प्यार करूँ?"



सभी लड़कों की नज़र बाहर दरवाजे के ऊपर बनी खिड़की पर जाती है। खिड़की पर एक ट्राँजिस्टर रखा हुआ है जिसमें ये गाना बज रहा है। साथ ही जिमी की पड़ोसन किताब लेकर बैठी हुई है।

उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट है... उसे देखने के बाद जिमी भी हल्की सी शरम के साथ मुस्कुरा दिया। अब उसे बाकी के मुँह-हाथ नहीं धोने।

हमारे लड़के पहले जिमी की पड़ोसन और फिर जिमी को देखते हैं।

शेखर: "लो जी, जैसे तैसे तो मुँह हाथ धो रहा था... अब उससे भी गया।"
मैडी: "अबे तुझे मुँह हाथ की पड़ी है... अब तो तू देख इसका कॉलेज जाना भी गया।"

जिमी और उसकी पड़ोसन शरमाते-हँसते हुए एक दूसरे को देख रहे हैं।
शेखर: [मैडी से] "हाँ... अब तो तू अकेला ही चला जा।"
मैडी: "अबे उस कौव्वे(कौशल) को तो लेकर ही जाऊँगा।"
शेखर: "हाँ हाँ... अभी जा रहा है वो... पहले कमरे में से तो बाहर निकाल उसे।"

इतने में जिमी अपने रूम में भाग कर जाता है। वहाँ कौशल जिमी के फोल्डिंग पलँग पर औंधा लेटा हुआ शिल्पी से बात कर रहा है।
जिमी राजधानी की स्पीड से अपना रेडियो चालू करता है। उसके रेडियो पर हमेशा की तरह AIR FM 102.6 Rainbow सेट हुआ पड़ा है। रेडियो शुरू होते ही, जिमी उसकी आवाज तेज करता है।

कौशल: "अबे आवाज कम कर बे, बात कर रहा हूँ।"
जिमी: "चुप बे ... जब देखो काँय काँय।"
कौशल: "अबे समझा कर यार, ज़रूरी बात है।"
जिमी: "अबे अब तो गाने बजेंगे बेटे... तुझे परेसानी है तो बाहर निकल कर बात कर ले।"
कौशल: "तो अब तू गाने सुन रहा है या कॉलेज चल रहा है?"
जिमी: "मैं ना जा रहा आज कॉलेज... तुम लोग ही चले जाओ।"

कौशल कुछ कहने ही वाला था कि बाहर से मैडी की आवाज आती है-
--"अबे साले कौव्वे! बाहर निकल... ये तो अब जायेगा नहीं... पर साले तुझे तो मैं लेकर ही जाऊँगा अपने साथ... चल ज़ल्दी बाहर निकल।"

कौशल अपना मुँह बना कर उठता है... फोन अभी भी उसके कान पर है। कौशल बाहर मैडी के पास पहुँचता है।
मैडी जिमी के कमरे के दरवाजे पर आता है।

मैडी: "देख लियो साले, तेरी ये पड़ोसन उस हलवाई के साथ ही भागेगी... बताये दे रहा हूँ मैं आज.. हाँ।"
जिमी: "यार मेरा मन ना कर रहा कॉलिज जाने का आज... कल चल लेंगे।"
मैडी: "कोई जरूरत ना है कॉलेज आने की.. अपनी पड़ोसन से ही डिग्री ले लीजो।"

मैडी बाहर कौशल के पास पहुँचता है, कौशल अभी भी फोन पर बात कर रहा है। दोनों बाहर गली में निकल जाते हैं।
जिमी उन्हें बाहर निकलते हुए देखता है... कि तभी गाने की आवाज और तेज हो जाती है-

-"... टूट गई टूट के मैं चूर हो गयी, तेरी ज़िद से मज़बूर हो गयी, तेरा जादू चल गया ओ जादूगर...."
 -- और जिमी वापस से खिड़की की तरफ देखता है।

दोनों की नजरें मिलती हैं, और हमारा जिमी शरमाते हुए अपना सिर खुजाता है। जिमी की पड़ोसन भी अब हँसते हुए उसे देख रही है।
अचानक जिमी को कुछ सुनाई देता है... और वो उसी राजधानी की स्पीड से वापस अपने कमरे में भागता है।
वो अपने कमरे में पहुँच कर अपना रेडियो उठाता है, और उसे अपने दरवाजे पर लेकर खड़ा हो जाता है। अब वो और उसकी पड़ोसन एक दूसरे को देख रहे हैं।

जिमी अपने रेडियो की आवाज तेज़ करता है-
-"इप्पी या या इप्पी या या, है गुलाबों में चेहरा तेरा ख्वाबों में चेहरा तेरा, पढ़ता हूँ जब मैं आता है नज़र किताबों में चेहरा तेरा, in the morning, by the sea...."

जिमी की पड़ोसन अब अपने रेडियो की आवाज कम करके जिमी के रेडियो का गाना सुन रही है। ये दोनों एक दूसरे के लिये गाने बजाते रहते हैं।

अचानक जिमी की पड़ोसन सकपका कर दूसरी तरफ देखती है, अपना रेडियो बँद करती है और तेजी से कमरे से बाहर निकल जाती है। जिमी उसकी खिड़की में से सिर्फ उसे जाते हुए ही देख पाता है।

कमरे की खिड़की पर अचानक से पड़ोसन की माँ दिखती है। उसे देख कर जिमी अपना रेडियो लेकर उल्टे पाँव अपने कमरे की तरफ भागता है।

[सुबह - 08:52]

क्रमशः

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