लॉण्डे - लपाटे !

01 -- सुबह के 06:00 बजे!

हमारा कौशल पढ़ रहा है। शादी के 2 महीने के बाद से ही भाई ने पढ़ाई शुरु कर दी है। अचानक कौशल को लगता है कि उसकी किताब नीचे को खिसक रही है। अब खिसके भी क्यों न? बिस्तर पर लेटे लेटे पढ़ेगा तो किताब तो खिसकेगी न? कौशल परेशान होकर अपने पैन का ढक्कन लगाता है और आशा (कौशल की धर्मपत्नी) की तरफ घूमता है।




कौशल: "आशा! तुम ठीक से नहीं सो सकतीं क्या?"
आशा: "ये कोई पढ़ने की जगह नहीं है।"
कौशल: "पर मैं बिस्तर में ही पढ़ता हूँ... हमेशा से। अरे It's my habit यार!"
आशा:[सोते सोते] "और मैं बिस्तर में ही सोती हूँ... हमेशा से।"
कौशल:[सख्ती से] "मेरे लिये चाय बना लाओ।"
आशा: "खर्र खर्र...."
कौशल:[खीजते हुए] "ठीक है.. ठीक है"

कौशल अपनी किताब गुस्से में पटकता है, और फोन उठाता है। पर तभी रुक जाता है, क्यूँकि साले के पास इतने फोन हैं कि फोन करने से पहले इसे सोचना पड़ता है कि किस नम्बर के किसे फोन करना है। सोचने के बाद ही वो अपना Idea का फोन निकालता है और एक नम्बर मिलाता है।
आशा मुस्कुराते हुए सो रही है।

[सुबह - 06:03 ]


02 -- सुबह के 06:03 बजे!
जिमी अपनी खाट पर औंधा लेटा सपने में रिचा के साथ एक रोमान्टिक गाना गा रहा है। कि तभी;
-"गोली मार भेजे में... ढिश्कियाऊँ! ये भेजा शोर करता है..." -- ये जिमी के फोन की रिंगटोन है।

जिमी ऐसे हड़बड़ा कर उठता है जैसे रिचा के बाप ने दोनों को साथ गाना गाते हुए पकड़ लिया हो... तभी उसे याद आता है कि रिचा के पिताजी पिछले 7 दिनों से कानपुर में हैं। तभी तो रात रात भर वो जिमी के कमरे पर बैठी रहती है, खैर फोन देखा जाये।
जिमी वापस खाट पर औंधा लेटता हुआ अपना फोन चैक करता है... एक तो नींद का असर ऊपर से कौशल का फोन। यहाँ ये याद रखा जाये कि जब एग्ज़ाम आने वाले होते हैं तो कौशल और रिचा, दोनों को ही जिमी की याद आती है। पर फिर भी, सुबह के 6 बजे कोई फोन करता है भला... पर हमारा जिमी दिल का हीरा है.. नींद में ही फोन उठाता है;

जिमी: [सोते हुए] "हाँ बे बोल, क्या बात है?"
कौशल: "यार, तूने वो statistics की 4th यूनिट पूरी कर ली?"
जिमी: [सोते हुए] "अबे साले, सुबह सुबह पढ़ाई की बात मत किया कर यार... और वैसे भी.. तू कब से पढ़ने लगा साले, तेरी तो शादी हो गयी है न?"
कौशल: "यार पेपर आने वाले हैं, प्लीज़ बता न.. तूने कर ली क्या?"
जिमी: "हाँ, मैंने कर ली है।" --जिमी कभी किसी चीज़ को मना नहीं करता... मैंने कहा न कि लड़का दिल का हीरा है आखिर।
कौशल: "ठीक है, सुबह मैं तेरे रूम पर आ रहा हूँ, कॉलेज साथ चलेंगे।"
जिमी: "आज नहीं.. आज मैं रिचा के साथ...."
कौशल का फोन: "टूँ.. टूँ.. टूँ.. टूँ.. टूँ.. "

[सुबह - 06:08]


03 -- सुबह के 08:11 बजे!
जिमी अपनी खाट से उठकर सूसू करने जाता है.. पर बाथरूम के दरवाजे से ही नाक बँद करके वापस लौट आता है।

- "ये साले गोलू और चीता कभी पानी नहीं डालते हैं... साले हरामखोर लौण्डे, बाप के पैसों पर ऐश करा लो इनको।" -- गोलू और चीता, जिमी के मकान मालिक के बेटों के नाम हैं।

झुँझलाता हुआ जिमी, शेखर [जिमी के पड़ोस के कमरे में रहने वाला] के कमरे में घुसता है। शेखर भी अपनी खाट में औंधे मुँह पड़ा हुआ है। ये साले सब लड़के अपनी खाटों में औंधे मुँह करके ही क्यों पड़े रहते हैं?

खैर, शेखर की खाट के ही पास उसका ट्राँजिस्टर रखा हुआ है, जिसपर कोई कुमार शानू का गाना बज रहा है। जिमी वैसे ही गोलू-चीता की वजह से झुँझलाया हुआ है... हाँ यार, सुबह सुबह मूड खराब कर दिया सालों ने.. नहीं तो!

जिमी ने बिजली की तेजी से शेखर की चादर हटाकर उसके पिछवाड़े पर एक लात जमायी;
जिमी: [गुस्से में] "उठ बे साले हरामखोर.. 8 बज गये हैं.. आज पानी डालने की बारी तेरी है।"
शेखर: [अलसाये हुए] "अबे यार... तम भी न.. सोने दो न थोड़ी देर।"
जिमी: "साले मुझे कॉलेज जाना है... और तुझे भी तो जाना है न? चल जल्दी कर।"

शेखर अपनी खाट से उठकर अपनी चप्पल ढूँढ रहा है। तभी इतने में आँगन से आवाज आती है:
"जिमीऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ "
ये एक नये छिछोरे की एण्ट्री है... वैसे तो इसका नाम मनोज है, पर सब इसे मजबूरी में मैडी बुलाते हैं।
मैडी: "ओये बाल की दुकान [ये जिमी को ऐसे ही बुलाता है]... तू तैयार है?"
जिमी: "कहाँ को तैयार बे?"
मैडी: "अबे तुझसे कितनी बार कहा है कि सवाल के जवाब मे सवाल मत दिया कर... तभी साले पेपर में तेरे नँबर कटते हैं।"

जिमी कुछ बोलने ही वाला है कि तभी शेखर अचानक कुछ देखता है।
शेखर: [दरवाजे की तरफ देखते हुए] "लो बेटा... कौशल भी आ गया।"

अब कौशल की एण्ट्री बतानी वैसे तो कहानी लिखने के नियमों के अनुसार आवश्यक नहीं है... पर फिर भी मैं बताना चाहूँगा।
एक हाथ कान पर टिके हुए फोन पर... और दूसरा हाथ हवा में, जैसे नेता पब्लिक के लिये हिलाते हैं।

अब जिमी, शेखर और मैडी.. कौशल की तरफ देखते हैं... वो फोन पर बात करता हुआ आ रहा है।
कौशल: [फुल टशन में] "... हाँ मेरी जान... अरे तू वहीं खड़ी रह... मैं बस पदम सिंह गेट पर हूँ..." -- ये कितना बड़ा हरीश्चन्द्र है... ये इससे पता चलता है कि ये चाहे शहर के किसी भी कोने में ही क्यों न हो... फोन पर हमेशा‌ बोलेगा कि 'पदम सिंह गेट' पर है, और उसके अलावा.. इसकी जान जिससे ये बात कर रहा है... उसका नाम शिल्पी हे, और वो इसके कई सारे extra marital affairs में से एक है।

मैडी: [कौशल से] "अबे साले शादी के बाद तो छोड़ दे।"
कौशल उसे हाथ से चुप रहने का इशारा करता है।
मैडी: "क्यूं चुप रहूँ बे?"
-"गोली मार भेजे में... ढिश्कियाऊँ! ये भेजा शोर करता है..." -- तभी जिमी का फोन बजता है।
सबका ध्यान जिमी के फोन की तरफ जाता है। कौशल इसका फायदा उठा कर बात करने के लिये जिमी के रूम में घुस जाता है।
फोन PC(प्रशाँत चौधरी) का है, मैडी फोन उठाता है।
PC: "और मेरी जान... अभी जिमी के ही यहाँ हो?"
मैडी: "हाँ मेरे बेटे... तू नहीं आ रहा? कॉलेज जाने को तेरा वेट कर रहे हैं सब।"
PC: "अबे मैं आ रिया हूं... आधा घण्टा लगेगा .... "
मैडी: "ठीक है... तो हम सब कॉलेज निकल रहे हैं.. तू वहीं आ।"
PC: "ओ॰के॰ जानू! बाय।"

तभी आन्टा अपना डायलॉग मारता है:
आन्टा: "कुछ न रखा कालिज में अब... अब क्या पढ़ाई होती है? पढ़ाई तो हमारे टैम में होती थी।"
-- आन्टा, जिमी का मकान मालिक और रिचा के बाप... मेरा मतलब पिताजी का छोटा भाई है... गोलू-चीता, इसी के दो हरामखोर लौण्डे हैं।
अब चूँकि आन्टा की बीवी को पूरा शहर आन्टी बुलाता है... इसलिये आन्टा को आन्टा कहते हैं। जैसे पँडित की पँडिताइन... और चौधरी की चौधराइन... वैसे ही आन्टी का आन्टा। समझे?

आन्टा की बात सुनते ही हमारे लड़के अपना माथा फोड़ रहे हैं।
शेखर: "अरे अँकल जी।"
मैडी: "हाँ तू अँकल जी जरूर करियो... वैसे ही ये बावला दिमाग चाटता है।" -आन्टा की तरफ देखता है... "राम राम अँकल जी।"
जिमी: "भाड़ में जाओ, मैं मुँह हाथ धोकर आ रहा हूँ... वैसे भी आज नहाने का मन नहीं है मेरा... ।"
जिमी हैण्डपम्प की तरफ भागता है।
[सुबह - 08:33]


क्रमशः...

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